Thursday 21 March 2013

यो तिरलोकी रो नाथ

यो तिरलोकी रो नाथ

                                स्वर के लिये link-http://www.geetganga.org/triloki-ro-nath   रे पावन जळ सूं माँ आठुं पहरां न्हावै रे 

चाँद सूरज तो करै आरती सागर अरग चढ़ावे रे 
दीपै है दुजग जननी ई भारत माँ रो कुरब निराळॊ रे 
यो तिरलोकी रो नाथ अठै खुद बण्यो गुवाळॊ रे .
नियां में ई रो मुकुट हिमाळॊ रे 
यो तिरलोकी ........................................

 गीतां री सुर लहरी गूँजी जग में पैलीपोत अठै 
चोसठ कला फळी फूली ही जग में दूजो देश कठै 
भारत सूं ही गयो जगत में ज्ञान उजाळॊ रे 
यो तिरलोकी ........................................

मुनि दधीचि सा बलिदानी हरिचंद जिस्या सतवादी रे 
राम जिस्या मरयादा पालक जोड़ कठै नहि ल्हादी रे 
बुद्ध और महावीर बहायो प्रेम पनाळॊ रे 
यो तिरलोकी ........................................

जो जो ई रे शरणे आया वां रा सारा काज सरया 
बुरी नज़र सूं देखी ई नै बै पापी बेमौत मरया 
जुझ्यो गुरु गोविन्द शिवा राणो मतवाळॊ रे 
यो तिरलोकी ........................................

फूट स्वार्थ रो महारोग भारत में घर घर छायो रे 
देशप्रेम रा भाव जगावण केशव संघ चलायो रे 
गाँव गाँव शाखा पूगाद्यो संकट टाळॊ रे 
यो तिरलोकी ........................................ 


Tuesday 12 March 2013

सोनै री चिडकली

देश भक्ति के गीतों की बहार राजस्थानी में भी कम नहीं है , परन्तु सही शब्दावली मिलाना कठिन है . विभिन्न लेखकों द्वारा रचित गीत पाठकों तक सही शब्द पहुंचे ऐसा छोटा सा प्रयास कर रहा हूँ .

सोनै री चिडकली

सोनै री चिडकली रै प्यारो म्हारो देशड़ो।
नर वीरां री खान जगत अगवाणी रै||


दूध दही री अठै नदियाँ बहती
रिध सिध साथै नवनिधि रहती
होती अठै मोकळी गायां
रहती फळ फूलां री छायां
करसां अन्न घणों निपाजाता
बानै देख देव शरमाता
शस्य श्यामला रे भारत भौम है
ईरो अन्नपूरणा रूप दुनिया जाणी रे||१||



ई धरती नर नाहर जाया
नारयां भी रण मं हाथ दिखाया
सूरां लड़ता शीश कट्योड़ा
देख्या पाछै नहीं हट्योड़ा
रण मं सदा विजय ही पायी
सारै धर्म ध्वजा फहराई
आ तो कर्म भौम है रै सिरी भगवान री
लियो बार बार अवतार अमर कहाणी रै ||२||



आ धरती है ऋषि मुनियाँ री 
चिंता करती सब दुनियां री
गूँजी अठै वेद री वाणी
गीता रण मं पड़ी सुणाणी
विकस्यो हो विज्ञान अठै ही
जलमी सारी कला कठै ही
आ तो जगत गुरु ही रै भारत भारती
अब तन मन जीवण वार बा छवि ल्याणी रै||३||  
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