यो तिरलोकी रो नाथ
स्वर के लिये link-http://www.geetganga.org/triloki-ro-nath रे पावन जळ सूं माँ आठुं पहरां न्हावै रे
चाँद सूरज तो करै आरती सागर अरग चढ़ावे रे
दीपै है दुजग जननी ई भारत माँ रो कुरब निराळॊ रे
यो तिरलोकी रो नाथ अठै खुद बण्यो गुवाळॊ रे .
नियां में ई रो मुकुट हिमाळॊ रे
यो तिरलोकी ........................................
गीतां री सुर लहरी गूँजी जग में पैलीपोत अठै
चोसठ कला फळी फूली ही जग में दूजो देश कठै
भारत सूं ही गयो जगत में ज्ञान उजाळॊ रे
यो तिरलोकी ........................................
मुनि दधीचि सा बलिदानी हरिचंद जिस्या सतवादी रे
राम जिस्या मरयादा पालक जोड़ कठै नहि ल्हादी रे
बुद्ध और महावीर बहायो प्रेम पनाळॊ रे
यो तिरलोकी ........................................
जो जो ई रे शरणे आया वां रा सारा काज सरया
बुरी नज़र सूं देखी ई नै बै पापी बेमौत मरया
जुझ्यो गुरु गोविन्द शिवा राणो मतवाळॊ रे
यो तिरलोकी ........................................
फूट स्वार्थ रो महारोग भारत में घर घर छायो रे
देशप्रेम रा भाव जगावण केशव संघ चलायो रे
गाँव गाँव शाखा पूगाद्यो संकट टाळॊ रे
यो तिरलोकी ........................................