ईण धरती रो म्हानै अभिमान हो.............................
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ईण धरती रो म्हानै अभिमान हो......................
इण पर वारां प्राण हो......................................
आ धरती हिन्दवाण री आ धरती हिन्दुस्थान री
उत्तर म पोहरै पर ऊभो पर्वतराज हिमाळो है
दिखण म रतनागर सागर इण रा चरण पखालै
इण धरती पर अवतरिया खुद सिरी भगवान हो
इण पर ...................................................................
काशमीर री केसर क्यारयां देव रमण नै तरसै है
गंग सिंध रै मैदानां सोने रो मे बरसै
अमरायाँ म आमां ओर खेतां म धान हो
इण पर ...................................................................
हळदी घाटी रण म मरदां पीथल भाला भळकाया
दुर्गा री तलवार चिमकी मीरां घूँघर घमकाया
जौहर री ज्वाला म पदमण कियो सिनान हो
इण पर ...................................................................
ललचाई आंख्यां सूं दुशमण इण पर चढ चढ़ जद दोड़िया
ई रा सिंह सपूत लाडला वांरा मूंडा मोड़िया
गाँव गाँव और गळी गळी मचियो घमसाण हो
इण पर ...................................................................
आज भी आथूणी दुनियाँ मृग तृसणा म भटकै है
सांचै सुख नै छोड़ मिनख रो मन माया म अटकै है
आ ही धरती देवली दुनियाँ नै ज्ञान हो
इण पर ...................................................................