Sunday 20 October 2013

जग में गूंजैला भारत माता रा जय जयकारा रे


जय जयकारा रे--------जग में गूंजैला भारत माता रा जय जयकारा रे 

पो फाट्या पैल्यां घर घर म यज्ञ हवन री त्यारी है 
ऋषि मुनियाँ री कुटिया सूं धुन सामवेद री आ' री है 
जागै सारा रे----------- मिलनै न्हाय धोय नै धरम करम म लागै सारा रे 

गायां री पूजा होवैली नीरा चारा दूवणा 
टाबर माखन मिसरी जीमै घर घर झगड़ बिलोवाणा 
भरै भंडारा रे------------अन धन दूध दही घी सबरा बहवै सुखरी धारा रे 

हिमगिरी पर भगवो फ़हरलो माँ' रे माथै चंवर डुळै 
छ्याळी ल्याळी बैर भूल कर जग चरणां  रे मांय लुळै
हिन्दू सारा रे------------मिलनै कृण्वन्तो विश्वम्  आर्यम्  हित अलख जगार् या रे 

Saturday 12 October 2013

हिन्दू ----सोयो घणेरो अब तो जाग रे

                                   
इस गीत की धुन के लिए लिंकhttp://www.geetganga.org/hindu-soyao-ghanero-jag-re
हिन्दू ----सोयो घणेरो अब तो जाग रे, ओ हिन्दू ----सोयो घणेरो अब तो जाग रे
जाग रे जाग रे
थारी सुतोड़ा री-थारी सुतोड़ा री लोग उतारी पाग बावळा- सोयो घणेरो अब तो जाग रे

हिन्दू -----थारो देसड़लो जग सिरमौड़ हो, ओ हिन्दू -----थारो देसड़लो जग सिरमौड़  हो
बिद्या अन धन बल रो, बिद्या अन धन बल रो कदे नहीं हो ओड़ प्यारा
अब तो उड़ऱ्या है अठै काग रे
प्यारा----अब तो उड़ऱ्या है अठै काग रे प्यारा----अब तो उड़ऱ्या है अठै काग रे
काग रे का रे
थारी सुतोड़ा री-थारी सुतोड़ा री लोग उतारी पाग बावळा- सोयो घणेरो अब तो जाग रे

हिन्दू----- झेली ग़ुलामी बरसां सैंकड़ी, ओ हिन्दू----- झेली ग़ुलामी बरसां सैंकड़ी
सैंकड़ी सैंकड़ी
थारा मिन्दर टूट्या, थारा मिन्दर टूट्या लुटगा रै दरबार प्यारा
बैरयां उजाड़्यो थारो बाग़ रे
प्यारा----बैरयां उजाड़्यो थारो बाग़ रे, ओ प्यारा----बैरयां उजाड़्यो थारो बाग़ रे
बाग़ रे बाग़ रे
थारी सुतोड़ा री-थारी सुतोड़ा री लोग उतारी पाग बावळा- सोयो घणेरो अब तो जाग रे

हिन्दू  देस आजादी अब पायगो, ओ हिन्दू ---- देस आजादी अब पायगो
पायगो पायगो
तो भी हिन्दू हिंदी झेल रह्या अपमान प्यारा
दूध पीवै है काळा नाग रे
ओ प्यारा----- दूध पीवै है काळा नाग रे, ओ प्यारा-----दूध पीवै है काळा नाग रे
नाग रे नाग रे
थारी सुतोड़ा री-थारी सुतोड़ा री लोग उतारी पाग बावळा- सोयो घणेरो अब तो जाग रे

हिन्दू माँ री भुजावां नेतां काटदी, ओ हिन्दू---- माँ री भुजावां नेतां काटदी
काटदी काटदी
अब बै माथो काटण खातर बैठ्या त्यार प्यारा
भाई चारा रो गारया राग रे
प्यारा----भाई चारा रो गारया राग रे ओ प्यारा ---- भाई चारा रो गारया राग रे
राग रे राग रे
थारी सुतोड़ा री-थारी सुतोड़ा री लोग उतारी पाग बावळा- सोयो घणेरो अब तो जाग रे

हिन्दू फूट थारोड़ी थानै खायगी, ओ हिन्दू---- फूट थारोड़ी थानै खायगी
खायगी खायगी
ई नै जड़ा मूळ सूं खोद बगा द्यो दूर प्यारा
भाई चारा में अब तो लाग रे
ओ प्यारा---- भाई चारा में अब तो लाग रे ओ प्यारा----- भाई चारा में अब तो लाग रे
लाग रे लाग रे
थारी सुतोड़ा री-थारी सुतोड़ा री लोग उतारी पाग बावळा- सोयो घणेरो अब तो जाग रे
   

Friday 4 October 2013

ईण धरती रो म्हानै अभिमान हो

ईण धरती रो म्हानै अभिमान हो.............................
इस गीत के स्वर के लिए लिंक
http://www.geetganga.org/is-dharti-ro-myane

ईण धरती रो म्हानै अभिमान हो......................
इण पर वारां प्राण हो......................................
आ धरती हिन्दवाण री आ धरती हिन्दुस्थान री

उत्तर म पोहरै पर ऊभो पर्वतराज हिमाळो है
दिखण म रतनागर सागर इण रा चरण पखालै
इण धरती पर अवतरिया खुद सिरी भगवान हो
इण पर ...................................................................

काशमीर री केसर क्यारयां देव रमण नै तरसै है
गंग सिंध रै मैदानां सोने रो मे बरसै
अमरायाँ म आमां ओर खेतां म धान हो
इण पर ...................................................................

हळदी घाटी रण म मरदां पीथल भाला भळकाया
दुर्गा री तलवार चिमकी मीरां घूँघर घमकाया
जौहर री ज्वाला म पदमण कियो सिनान हो
इण पर ...................................................................

ललचाई आंख्यां सूं दुशमण इण पर चढ चढ़ जद दोड़िया
ई रा सिंह सपूत लाडला वांरा मूंडा मोड़िया
गाँव गाँव और गळी गळी मचियो घमसाण हो  
इण पर ...................................................................

आज भी आथूणी दुनियाँ मृग तृसणा म भटकै है
सांचै सुख नै छोड़ मिनख रो मन माया म अटकै है
आ ही धरती देवली दुनियाँ नै ज्ञान हो
इण पर ...................................................................

Sunday 8 September 2013

राम जन्म भूमि कथा



राम जन्म भूमि पर भगवान श्रीराम का भव्य मंदिर बने यह हिन्दू समाज की आकांक्षा है। इसके लिए बार बार प्रयत्न हुए। राम जन्म भूमिमंदिर के निर्माण , विध्वंस व पुनर्निर्माण हेतु हिन्दू समाज के प्रयत्न की एक कथानक के माध्यम से जानकारी देनेवाला राजस्थान की घुघरी राग में स्वर्गीय श्री मोतीसिंह जी राठौड़  द्वारा रचित यह गीत बड़ा ही बोधगम्य, भावपूर्ण व रोचक है :
घटना सन १९९२ की राजस्थान के एक गाँव की है, जब पूरे देस में अयोध्या में दूसरी कार सेवा हेतु कारसेवक जा रहे थे। एक कृषक महिला सवेरे सवेरे मंदिर जा कर आती है और अपने पति से कहती है कि आज बहुत से लोग जय श्रीराम जय श्रीराम का उदघोष लगा रहे हैं और लोग कह रहे हैं की वे अयोध्या जा रहे हैं। यह क्या मामला है ?………………….
                                              पत्नी 
हाको सुणियो उरलै  परलै  बास कोई लोग अज्योधा जा रह्या जी म्हारा राज
काईं परणया मंड्यो अज्योध्या कुम्भ के  विपदा आई दे'वरां जी म्हारा राज
                                             पति
ना म्हारी गौरी मंड्यो अज्योध्या कुम्भ ना  विपदा आई दे'वरां ऎ घरनार
जलम रामजी लियो अज्योध्या मांय बठै ही मिन्दर बण रह्यो ऎ  घरनार
                                             पत्नी
मिन्दर बणण इसड़ी काईं बात क्यूँ सगळै हाको फूटरयो जी म्हारा राज
जा' री बठै सारी राण-खुमाण इसड़ो के आभो फाटग्यो जी म्हारा राज
                                             पति
मिन्दर होतो राम जलम री ठोड पूजन्तो सारै देस म ऎ  घरनार
होतो राजा बीर बिकरमादीत बो' ही ओ मिन्दर बणावियो ऎ  घरनार
एक लुटेरो जीं रो बाबर नाँव भारत पर चढकर आवियो ऎ  घरनार
खोस्या कैई राजावां रा राज तोड्या बीं मिन्दर दे'वरा ऎ  घरनार
फज़ल अबास कलंदर एक फ़कीर बाबर रै मनरो चाँवतो ऎ  घरनार
फकीरडै रै मनमै उठ्यो जिनून बाबर नै जा बिड़दावियो ऎ  घरनार
दुनियाँ मै हो ज्यासी थारो नाम तू राम मिन्दर नै तोड़ दे र मेरा ना'र
मीरबकी बाबर रो ओ'दा दार अज्योध्या पर चढ़ दोड़ीयो ऎ  घरनार
जळम भोम रो मिन्दर दीन्यो ढा'य त्यारी महजीत बणाण की ऎ  घरनार

हाको फूट्यो गाँव गाँव रे माँय जाग्यायो सारो चोखळो  ऎ  घरनार
हाथां माईं जो आयो हथियार ले हिन्दू भेळा हो गया ऎ  घरनार
तोपां आगै गळी न बां री दाळ पण फोड़ा निस दिन घालता ऎ  घरनार
दिन म मियाँ चिणता जितरी भींत अ रात्यूं रात खिंडावतां ऎ  घरनार
बण नहीं पाई मियाँ री महजीत पण राम मिन्दर तो टूटगो ऎ  घरनार

तो भी हिन्दुआँ मानी कोनी हार मांडेड़ो राख्यो मोरचो ऎ  घरनार
सम्मत पन्दरा सौ पिच्यासी साल जद सू ओ झगड़ो चाल रयो ऎ  घरनार
खपग्या कई राजा राणी साध कितरी ही जनता खप गयी ऎ  घरनार
नहीं पढ़णदी मियाँ नै निवाज़ कोई अखण्ड पूजा हो रही ऎ  घरनार

गयो देश सूं परदेस्यां रो राज आज़ादी आई देश म ऎ  घरनार
हुता जिका ग़ुलामी रा सैनाण बां नै सारां नै मेटिया ऎ  घरनार
परदेस्यां री मुरत्यां होती भोत सब नै ओळातर मेल दी ऎ  घरनार
बाँ री ठोड़ा गांधी जी म्हाराज नैं दूजा नेता दीसरया ऎ  घरनार

हो शिव मिन्दर सोमनाथ रै माँय जो म्होमद गज़नी तोड़ीयो ऎ  घरनार
पै'लो गृह मंत्री सरदार पटेल बो मिन्दर नवो बणावियो ऎ  घरनार
बोल्यो ओ गुलामी रो कलंक ई नै तो धोणो चा'यजे ऎ  घरनार
लाम्बी ऊमर ना पायी सरदार मिन्दर बणज्यातो राम को ऎ  घरनार

भीतर हो री पूजा घणै मान ऊपर ऊभा बै भीतड़ा ऎ  घरनार
साधू संता कर राख्यो विचार मिन्दर बणवास्यां सांतरो ऎ  घरनार
घर घर लेग्या राम शिला पुजवाय मिन्दर री नींव लगायदी ऎ  घरनार
राज करणियां री ही खोटी नीत बै बोट बीच में बाळीया ऎ  घरनार
राजिव गांधी ले बोटां रो नाँव मिन्दर रो काम थमा दियो ऎ  घरनार

बोटां म राजीव गयो हार वी पी सिंह गादी बैठियो ऎ  घरनार
बोल्यो म्होलत द्यो मनै म्हीना च्यार मिन्दर को रस्तो काढस्यूं ऎ  घरनार
च्यार म्हनां नै जातां नै के बार राजा तो चुप व्है बैठ्ग्यो ऎ  घरनार
पण संतां नैं कियां पड़ती चैन बाँ रो जाग्यायो राम जी  ऎ  घरनार
घर घर ताणी राम ज्योत पूँचाय दीवा चसवाया राम का ऎ  घरनार
राम दिवाळी धोकी सारै देश कोको अज्योध्या जाण को ऎ  घरनार
सन गुन्नासी नब्बै की है बात सब लोग अज्योध्या पूगग्या ऎ  घरनार
मिन्दर तो बण ज्यातो बीं ही स्यात पण राज चलादी गोळीयाँ  ऎ  घरनार
लोही सूं अज्योधा होगी लाल कितरा ही सुरग सिधारिया  ऎ  घरनार

जनता सारी करड़ो करियो कोप राजा नैं नीचो नाखियो  ऎ  घरनार
नुवा राज री भी है आ'ही नीत बोटां री खातर लुभ रह्या  ऎ  घरनार
बात चीत में दीसै कोनी सार बरसां रा बरस घुळा दिया  ऎ  घरनार
अब आयो है सन्तां रो सन्देश मिन्दर बणवाकर मानस्यां  ऎ  घरनार
बीं री ही आ सारी रामारोळ घर घर सूँ सेवक जा रह्या  ऎ  घरनार
                                            पत्नी
ओ 'तो स्याणां राम धरम रो काम आपाँ क्यूँ रहवाँ लैरनै जी म्हारा राज
तीरथ रो तो तीरथ होय ज्याय मिन्दर बणवाद्यां राम को जी म्हारा राज
                                            पति
तूं है गौरी भोळै मन री नार तूं बिना बिचारयाँ बोलगी  ऎ  घरनार
आपणै है काची फुलवाद पाछै ई नै कुण सींचसी  ऎ  घरनार
छोटकड़ी को करणो अबकै ब्याव बड़ली क  छूछक जावणो  ऎ  घरनार
भैंस आपणी ऊभी ब्यावण सार पूरै म्हीनाँ है कुळ बहू  ऎ  घरनार
ओ 'है गौरी ठालोडाँ रो काम आपाँ नैं जायां ना सरै  ऎ  घरनार
                                            पत्नी
सुणज्यो स्याणां म्हारै मन री बात मरदां री सी थे ना कही जी म्हारा राज
घालो मतना घर म इतरो जीव रुखाळो सब रो राम जी सा म्हारा राज
मन्नैं देद्यो खरची जितरा दाम मैं सबसूं आगै रैवस्यूं जी म्हारा राज
राखो थारा घर टाबर संभाळ मन्नैं तो दीसै राम जी सा म्हारा राज
                                            पति
ईंयां गौरी एकलड़ी मत जाय जोड़ै सूं आपां चालास्याँ  ऎ  घरनार
म्हारै मन मैं थांसूं बेसी कोड मैं तो थारो मन ले रह्यो  ऎ  घरनार
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चाल्या दोन्यूं शुभ म्हूरत रै माँय गौ'जे म रिपिया पाँच सै जी म्हारा राज
पांच सेर रा शक्कर पारा काढ थैलै म साग ले लिया जी म्हारा राज
गाँव गाँव सूँ जुड़ता चाल्या लोग अज्योध्या लाखां पूगग्या जी म्हारा राज
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ऊंच नीच रो सारो भेद भुलाय कोई कौम छतीसूं पूगगी जी म्हारा राज
पूग्या २ करसां नैं मज़ूर कोई बैद बकील र बाणियाँ जी म्हारा राज
कालेजां रा छोरां री ही टोळ साथै वां रा पढाणियां जी म्हारा राज
लुगायां भी कोनी रैयी लार झाँसी री राण्या बण गई जी म्हारा राज
पूग गया सारा पन्थां रा साध श्री राम को नाम गुंजावता जी म्हारा राज
पूरब पिच्छम उत्तर दिखण सूं चाल कोई देश समूलो आयगो जी म्हारा राज
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कोई बोलै तमिल असमिया बोल तो कोई बोलै डोगरी जी म्हारा राज
कोई नै गुजराती को है ग्यान तो कोई कन्नड़ बोल रयो जी म्हारा राज
इक दूजै री समझै कोनी बात पण मनड़ो सब रो मिल रह्यो जी म्हारा राज
पहरयां सारा न्यारा न्यारा भेख पण सब री मनस्या एक है जी म्हारा राज
लागै जाण्यु एक पिरवार सबां रा मायत रामजी सा म्हारा राज
समझै सब माँ बहणां नैं माँ भैण चोरी बदमाशी ना सुणी जी म्हारा राज
नहीं कठै भी राड़ झोड़ रो कांम कोई सूती गंगा बह रही जी म्हारा राज
राम राज म कियां रहता लोग ओ आँख्यां आगै आयगो जी म्हारा राज
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बडै राज नै घणी करी अरदास अब म्हानै मिन्दर बणाणद्यो जी म्हारा राज
आडो आयो बोटां केरो लोभ आडी पर आडी राज दी जी म्हारा राज
आडै दीनी पलटण पुलस बिठाय कोरट रो रोक्यो फैसलो जी म्हारा राज
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आई आई मोट्यारां नै रीस ढांचै रै ऊपर चढ गया जी म्हारा राज
रह्या बरजता सारा साधू संत पण लाग्या कोनी थागड़ा जी म्हारा राज
भाठो ढींढो जो भी आयो हाथ ले ढांचो ढावण लागग्या जी म्हारा राज
कुदया जाण्यू लंका म हणमान अणूती ताकत आयगी जी म्हारा राज
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ऐसी होई सांवरिया री म्हैर कोई पुलस्या अपूठा फिर गया जी म्हारा राज
होता कैई अकलां म उजीर मुरत्यां नैं बारें काढली जी म्हारा राज
भाठा दग्गड़ पड्या उपर सूं आय जवानी पाछी ना मुडी जी म्हारा राज
वानर सेना कर कर जय जयकार बाबर रो ढांचो ढा दियो जी म्हारा राज
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बाज्या बाज्या शंख मजीरा ढोल मिन्दरां मैं बाजी आरती जी म्हारा राज
हुई हरस सूं नगरी हळाबोळ घर घर म दीवा चासिया जी म्हारा राज
उडणै लाग्या रंग और गुलाल फुलझड़ी पटाखा छूटिया जी म्हारा राज
हरख्यो च्यारूं कूँटाँ हिन्दुस्थान बरसां रो पातक कट गयो जी म्हारा राज
ढांचों टूटयो हुयो साफ़ मैदान छोटो सो थरप्यो दे'वरो जी म्हारा राज
ई मिन्दर में मुरत्यां दी पधराय सारां मिल कीनी आरती जी म्हारा राज
घर सूं आया हां जो संकळप धार संवारिये पूरो कर दियो जी म्हारा राज
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छोड़ अज्योधा पाछा चाल्या लोग मारग में घणां बधाविया जी म्हारा राज
ठेसण ठेसण जनता री ही भीड़ जयकारा हा श्री राम का जी म्हारा राज
कारसेवाकां रा सब करिया कोड मूंडो मीठो करवा रह्या जी म्हारा राज
होगी म्हारै मन री चीती बात म्हे किस विध थानै आदरां जी म्हारा राज
जाग्यायो है सारो हिन्दू आज जो कुम्भकरण बण सो रह्यो जी म्हारा राज
बीत गयी कष्टा री काळी रात सोनै रो सूरज उगियो जी म्हारा राज  
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धणी धिराणी पूग्या अपणै गाँव कांकड़ पर लोग उडीक रया जी म्हारा राज
बूढ़ा ठेरां दीन्यो है आसीस छोटोडां तो पग चांपिया जी म्हारा राज
ल्याया बाँ पर चँवर ढुळाय लुगायां मंगळ गांवती जी म्हारा राज  
थे राखी है गाँवड़लै री लाज धन धन थारै माँ बाप नै जी म्हारा राज  
लोग लुगायां कर कर मन में कोड अज्योध्या री पूछै बारता जी म्हारा राज  
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घरां पूग पोळी में मेल्यो पाँव तो थाळ सुणीज्यो बाजतो जी म्हारा राज  
बेटो बोल्यो पाडी ल्यायी भैंस बहू रै जायो गीगलो जी म्हारा राज  
कह्यो धिराणी सांवर नै सर नाय ईस्या ही सब नै टूठज्यो जी म्हारा राज  
राम काज तो कदेन अहळो जाय सांवरियो टेकी राखणू जी म्हारा राज  
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Monday 19 August 2013

भारत रो इतिहास उजळो चनेक पानो खोलो र बेली

भारत की चार गौरवशाली घट्नाओं की याद  दिलाने वाला यह गीत कैसा लगा ?  अपना  विचार अवश्य लिखें :
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जय बजरंगी जय जय काली बम बम हर हर बोलो र बेली
भारत रो इतिहास उजळो चनेक पानो खोलो र बेली

यूनानी जोधो सेलुकस चढ़ भारत पर आयो हो 
पड़ी पीठ पर मार गदांगद मोर जियां कुरलायो हो 
बेटी देय दायजो दीन्यो जद छुटकारो पायो र बेली 
बम बम---------------------------------------
अकबर हो हिरदे रो काळो मन म कुबद बिचारी ही 
छाती पर किरणा चढ़ बैठी कर म तेज कटारी ही 
पकड्या कान नाक रगड्यो हो होयी जणा जिवारी र बेली 
बम बम---------------------------------------
अमरसिंह राठौड़ सूरमो गाळ सलावत काढी ही 
सिंह भरै दरबार धडूक्यो नाड़ दुष्ट री बाढ़ी ही 
छोड़ तखत शाजां भाग्यो हो खिड़की जडली आडी र बेली 
बम बम---------------------------------------
जलियांवाला बाग़ मांयनै डायर जुलम करयो भारी 
भरी सभा म गोळयां दागी मरया घणा ही नर नारी 
उधम सिंह जद जाय बिलायत बी रै गोळी मारी र बेली 
बम बम---------------------------------------           

Wednesday 7 August 2013

राणा ----सुणता ही जाज्योजी

हिंदुआ सूर्य महाराणा प्रताप के नाम से राजस्थान की दुनिया में विशेष पहचान है। उनकी वीरगाथा का बखान करता यह गीत बहुत प्रेरणादायी है:
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नीला घोड़ा रा असवार , म्हारा मेवाड़ी सरदार
राणा ----सुणता ही जाज्योजी
राणा थारी दकाल सुणनै अकबर धूज्यो जाय
हल्दी घाटी रंगी खून सूँ नाळो बहतो जाय
चाली मेवाड़ी तलवार बैग्या खूना रा खंगाळ 
राणा ----सुणता ही जाज्योजी
चेतक चढग्यो हाथी ऊपर मानसिंह घबराय
भालो फेंक्यो महाराणा नै होदो टूटयो जाय
रण में घमासान मच जाय बैरी रणसू भाग्यो जाय
राणा ----सुणता ही जाज्योजी
झालो गयो क सुरगां माहीं पातळ लोह लुहाय
चेतक तनसू बहे पनाळो करतब बरण्यो  न जाय
म्हाने जीणासू नहीं प्यार म्हाने मरणो है एक बार
राणा ----सुणता ही जाज्योजी
शक्तिसिंह री गर्दन झुकगी पड्यो पगां में आय
प्यार झूमग्यो गळ लूमग्यो बचन न मुंडे आय
दोनूं आंसूड़ा ढळकाय बां री बाहां कुण छुड़वाय
राणा ----सुणता ही जाज्योजी
राणों मनमे सोचकर जद छोड़ चल्यो मेवाड़
भामासा री भेंट चढ़ी धन थारो है करतार
म्है हाँ मेवाड़ी सरदार म्हाने माया सू नहीं प्यार
राणा ----सुणता ही जाज्योजी

Tuesday 6 August 2013

भारतवासी गुण नहीं भूले केशव थारा रे


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डॉक्टर हेडगेवारजी का जीवन हम सभी के लिए प्रेरणादायक है. उनके प्रति कृतज्ञता ज्ञापित करनेवाला यह भावपूर्ण राजस्थानी गीत :

है जग में जदताणी सूरज चाँद और तारा रे
भारतवासी गुण नहीं भूले केशव थारा रे

हिन्दूपण नै भूल गया हा भूल्या गौरव गाथा रे
दीन हीन सा हुया झुकायां परदेस्याँ कन माथा रे
थे सूतोड़ा सिंह जगाया हिन्दू सारा रे
 भारतवासी-----------------------

कहता हिन्दू एक न होवै मेंढक तुलणों सोरो रे
हिम्मत वाला नरसिंघा रे  कारज कुणसो दोरो रे
संघ मंत्र सूं देस जगा थे पलटी धारा रे
भारतवासी------------------------

 टाबर नै मोट्यार जगां  बूढ़ा  पर कर दियो जादू रे
जाग्या हरिजन गिरिजन करसां  सेठ मजूरां साधू रे
लाग रह्या है भारत माँ ने कयां संवारां रे
भारतवासी------------------------

करयो रगत रो तेल देहरी बाती निस दिन बाळी रे
थे दिवला सूं दिवलो जोयो होई जणां दिवाळी रे
किण शबदां में नमन म्हे केशव थारा रे
भारतवासी------------------------

Monday 3 June 2013

सैं री आँखड़ल्यां रो तारो प्यारो राजस्थान

सैं री आँखड़ल्यां रो तारो प्यारो राजस्थान
प्यारो राजस्थान म्हारो प्यारो राजस्थान
सैं री ......................................

गोरा गोरा टीबडियां पर खेत खड़या मुस्कावै
नैणां सुरमो सार गोरड़ी भातो लेकर आवै
गावै अलगोजा री तान म्हारो ..................१ 

राणा सरीखा पूत होवै तो धरती भी सरावै
चेतक जिस्या घोड़ा ढूँढ्या और कठै  ना पावै
होग्या मालिक पर कुरबान म्हारो .............२

लड़बानै जद गयो सायबो मंगवाई सैनाणी
ले कटार सिर काट दे दियो धन्य धन्य छत्राणी
जुग जुग गावै थारो गान म्हारो ................३

गोरा बादल जयमल फत्ता तलवारां खड़काई
भामा जिस्या दानी देखो देखो मीरांबाई
 पन्ना धाई रो बलिदान म्हारो ..................४

वीर पदमणी हाडी राणी गणगौर् यां रो देश
देई देवता निरखण आवै धर जोग्यां रो भेस
चक्कर खावै भगवान म्हारो…….……….५

जैपर बूंदी कोटा देखो देखो बीकानेर
उदैपूर चित्तोड़ देखल्यो देखो अजमेर
आ तो है वीरां री खान म्हारो .................६

Thursday 16 May 2013

जग सूं न्यारी धरती हिन्दुस्थान री

स्वर के लिये link-http://www.geetganga.org/dev-gaavata-geet

देव गावता गीत सुरग री मीत भौम भगवान री 
जग सूं न्यारी धरती हिन्दुस्थान री 
हाँ.......... हिन्दुस्थान री 
केसर क्यारां कशमीर री ऊँचा डूंगर सोवणा 
कळ कळ करती नदियाँ बहवै फूल घणा मन मोहणा 
हरै भरै मैदानां में है भरी बखारयां धान री 
चांदी सी चमकै धर राजस्थान री 
हाँ ..........हिन्दुस्थान री
जद दुनियां में मिनख जिनावर दोन्या में नहीं भेद हो 
अठै ज्ञान री ज्योत जगै ही घर घर बंचरयो बेद हो 
जग शिक्षा लीनी भारत सूं कला ज्ञान विज्ञानं री 
धरम धजा फहराई हिन्दुस्थान री 
हाँ ..........हिन्दुस्थान री
यूनानी भारत पर चढ़कर आया मुह की खायी ही 
डरती ज्यांसू दुनियां बै शक हूण पिछाण गंवाई ही 
दाल नहीं गळ पाई रण में अब भी पाकिस्तान री 
दुनियां जाणे ताकत हिन्दुस्थान री 
हाँ ..........हिन्दुस्थान री
आर्य समाजी बौद्ध जैन सिख शिव विष्णु पूजण हारा 
दीखण में न्यारा लागै पर हिन्दू मूळ एक धारा 
कोई नहीं अछूत सबाँ में मूरत है भगवान री 
सब री माटी ई भारत री खान री 
हाँ ..........हिन्दुस्थान री
सोनै री चिड़िया सो भारत माटी होग्यो फूट सूं 
संघ शक्ति भारत माँ री कर सकै रुखाली लूट सूं 
शाखा लागै हरिजन गिरिजन पुरजन और किसान री 
घर घर सूं आवै हुँकार जवान री 
हाँ ..........हिन्दुस्थान री   

Thursday 21 March 2013

यो तिरलोकी रो नाथ

यो तिरलोकी रो नाथ

                                स्वर के लिये link-http://www.geetganga.org/triloki-ro-nath   रे पावन जळ सूं माँ आठुं पहरां न्हावै रे 

चाँद सूरज तो करै आरती सागर अरग चढ़ावे रे 
दीपै है दुजग जननी ई भारत माँ रो कुरब निराळॊ रे 
यो तिरलोकी रो नाथ अठै खुद बण्यो गुवाळॊ रे .
नियां में ई रो मुकुट हिमाळॊ रे 
यो तिरलोकी ........................................

 गीतां री सुर लहरी गूँजी जग में पैलीपोत अठै 
चोसठ कला फळी फूली ही जग में दूजो देश कठै 
भारत सूं ही गयो जगत में ज्ञान उजाळॊ रे 
यो तिरलोकी ........................................

मुनि दधीचि सा बलिदानी हरिचंद जिस्या सतवादी रे 
राम जिस्या मरयादा पालक जोड़ कठै नहि ल्हादी रे 
बुद्ध और महावीर बहायो प्रेम पनाळॊ रे 
यो तिरलोकी ........................................

जो जो ई रे शरणे आया वां रा सारा काज सरया 
बुरी नज़र सूं देखी ई नै बै पापी बेमौत मरया 
जुझ्यो गुरु गोविन्द शिवा राणो मतवाळॊ रे 
यो तिरलोकी ........................................

फूट स्वार्थ रो महारोग भारत में घर घर छायो रे 
देशप्रेम रा भाव जगावण केशव संघ चलायो रे 
गाँव गाँव शाखा पूगाद्यो संकट टाळॊ रे 
यो तिरलोकी ........................................ 


Tuesday 12 March 2013

सोनै री चिडकली

देश भक्ति के गीतों की बहार राजस्थानी में भी कम नहीं है , परन्तु सही शब्दावली मिलाना कठिन है . विभिन्न लेखकों द्वारा रचित गीत पाठकों तक सही शब्द पहुंचे ऐसा छोटा सा प्रयास कर रहा हूँ .

सोनै री चिडकली

सोनै री चिडकली रै प्यारो म्हारो देशड़ो।
नर वीरां री खान जगत अगवाणी रै||


दूध दही री अठै नदियाँ बहती
रिध सिध साथै नवनिधि रहती
होती अठै मोकळी गायां
रहती फळ फूलां री छायां
करसां अन्न घणों निपाजाता
बानै देख देव शरमाता
शस्य श्यामला रे भारत भौम है
ईरो अन्नपूरणा रूप दुनिया जाणी रे||१||



ई धरती नर नाहर जाया
नारयां भी रण मं हाथ दिखाया
सूरां लड़ता शीश कट्योड़ा
देख्या पाछै नहीं हट्योड़ा
रण मं सदा विजय ही पायी
सारै धर्म ध्वजा फहराई
आ तो कर्म भौम है रै सिरी भगवान री
लियो बार बार अवतार अमर कहाणी रै ||२||



आ धरती है ऋषि मुनियाँ री 
चिंता करती सब दुनियां री
गूँजी अठै वेद री वाणी
गीता रण मं पड़ी सुणाणी
विकस्यो हो विज्ञान अठै ही
जलमी सारी कला कठै ही
आ तो जगत गुरु ही रै भारत भारती
अब तन मन जीवण वार बा छवि ल्याणी रै||३||  
स्वर के लिये link-http://www.geetganga.org/sone-ri-chidhakti-re