Sunday 8 November 2015

माता थारो रूप म्हानै प्यारो लागै ए

भारत माता का ऐसा अलौकिक वर्णन तो उसका साक्षात् हमें दर्शन करा रहा है:-

माता थारो रूप म्हानै प्यारो लागै ए

ऊंचो थारो भाल हिमालो उत्तर म नगराज
सूरज री किरणां ज्यूँ चमकै
धोळो हिमरो ताज म्हानै प्यारो लागै ए

गंगा जमुना सिंधु सुरसती नदियां री जळधार
माता थारै गळ म सोहै
जाणू नौलख हार म्हानै प्यारो लागै ए

हारिये खेतां री साड़ी सोहै माता फूलांदार
चमचम चमकै चाँदनी में
उजळी रेत किनार म्हानै प्यारो लागै ए

विंध्याचल री सोहै कणकति माता झालरदार
सातपुड़ा री सोहै कमर में
थारै तेज कटार म्हानै प्यारो लागै ए

लंका रै बाजोट धरया पग सागर रह्यो पखाळ
साँझ सवैरे करै आरती
ले सूरज रो थाळ म्हानै प्यारो लागै ए

थारै सुन्दर रूपरा दरशण पावै सब संसार
शीश झुका चरणां में माता
चावै निज उद्धार म्हानै प्यारो लागै ए

Sunday 28 June 2015

भारत म्हारो देस फूटरो बेस क धन धन भारती


भारत म्हारो देस फूटरो बेस क ध।न धन भारती
बोलो जय जयकार उतारो आरती हां उतारो आरती

सोना उगळै धरती अम्बर मोतीड़ा बरसावै रै
मुळकै सूरज चाँद गीत कोयलड़ी मीठा गावै रे
हिमगिरि योगीराज सीस पर ताज कि गैंग वारती
समदरिया री लहरां चरण पखारती
हां उतारो ...................................


कुण भूलैलो राणा नै चेतक नै हल्दीघाटी नै
वीर शिवा सो सूर कठै दुनियां पूजै इण माटी नै
रणचंडी रो मोड़ दुर्ग चित्तौड़ कि मौत भी हारती
जौहर री लपटां नै रोज निहारती
हां उतारो .................................

तिलक गोखले भगत बोस बापू झाँसी की महारानी
जौहर देख जवानां रो तूं बता कठै इतरो पानी
गीता रो उपदेश कर्म सन्देश कृष्ण सा सारथि
आज भरत री धरा विश्व ललकारती
हां उतारो ..................................

केशव माधव रो संघनाद जण जण रो हियो गुंजावै रे
आत्म त्याग और देसप्रेम रो सबनै पाठ पढ़ावै रे
भगवै ध्वज री आन देस री शान सदा सिंगारती
संगठना री शक्ति देस संवारती
हां उतारो आरती .........................

Thursday 15 January 2015

कलयुग मे कर् यो चमत्कार हो, सौ सौ नमस्कार हो

कलजुग मे कर् यो चमत्‍कार हो 
सौ सौ नमस्कार हो बलरामजी रा छावा ने 
रेवती रे जाया ने
अंग्रेजी शिक्षा सै हिन्दू हिन्दू पण ने भूल गयो
हिन्दू मुसलमान ईसाई मिलास्यां देस नयो
भारत हिन्दू राष्‍ट्र केशव की ललकार हो
सौ सौ नमस्कार...............................

हिन्दुआ रो एको करणो मेंढक तोलो जींवता
मिनख री औकात कांई कान पकड़या देवता
मैं करूंला केशव मन मे लीनी धार हो
सौ सौ नमस्कार हो...........................
बीज बण्यो खुद गळ्यो जणा ही संघरो बिड़लो बिकसायो
आज देशरो सारो हिन्दू ई री शरणा में आयो