Sunday 8 November 2015

माता थारो रूप म्हानै प्यारो लागै ए

भारत माता का ऐसा अलौकिक वर्णन तो उसका साक्षात् हमें दर्शन करा रहा है:-

माता थारो रूप म्हानै प्यारो लागै ए

ऊंचो थारो भाल हिमालो उत्तर म नगराज
सूरज री किरणां ज्यूँ चमकै
धोळो हिमरो ताज म्हानै प्यारो लागै ए

गंगा जमुना सिंधु सुरसती नदियां री जळधार
माता थारै गळ म सोहै
जाणू नौलख हार म्हानै प्यारो लागै ए

हारिये खेतां री साड़ी सोहै माता फूलांदार
चमचम चमकै चाँदनी में
उजळी रेत किनार म्हानै प्यारो लागै ए

विंध्याचल री सोहै कणकति माता झालरदार
सातपुड़ा री सोहै कमर में
थारै तेज कटार म्हानै प्यारो लागै ए

लंका रै बाजोट धरया पग सागर रह्यो पखाळ
साँझ सवैरे करै आरती
ले सूरज रो थाळ म्हानै प्यारो लागै ए

थारै सुन्दर रूपरा दरशण पावै सब संसार
शीश झुका चरणां में माता
चावै निज उद्धार म्हानै प्यारो लागै ए

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